आई परीक्षा आई परीक्षा
लोकतंत्र की आई परीक्षा
मची हड़बड़ी चारों ओर
जल्दी में कोई फीता काटे
लगा बोर्ड वोटों को मांगे
कहीं अन्न संकल्प, पानी-बिजली
मुफ़त में बांटें
व्यंग वाण भी खूब चलें
टिकट हाथ में गर ना आए,
नेताजी फिर खूब ही भड़के
मची हड़बड़ी चारों ओर
बिन पेंदी का लोटा बनकर
इत – उत लुड़कें सारे नेता
मिलते सबसे एक जवाब;
करने आए हम जन सेवा
सेवा सेवा बोल बोल के,
मेवा सारी वो खा जाएं
आई परीक्षा आई परीक्षा
लोकतंत्र की आई परीक्षा
कुर्सी की खातिर सब …
छवि अपनी ही माँज रहे
बिना पढे ही पाठ पुराना
दोहराते हैं जल्दी में
पार्टी बदल बदल कर आते
हाथ जोड़ कर;
बहना, मैया, भैया करते
वोट हमीं को देना तुम
बच्चों पर भी प्यार लुटाते
एक अनोखा मौसम आता …
पाँच साल में एक ही बार
जब नेता जी आते द्वार
वोट वोट बस वोट वोट
आई परीक्षा आई परीक्षा
लोकतंत्र की आई परीक्षा
– स्मृति गुप्ता